टाइड टर्नर चुनौती: छह युवा प्लास्टिक प्रदूषण कार्यकर्ताओं की सक्रियता

टाइड टर्नर चुनौती: छह युवा प्लास्टिक प्रदूषण कार्यकर्ताओं की सक्रियता

टाइड टर्नर चुनौती: छह युवा प्लास्टिक प्रदूषण कार्यकर्ताओं की सक्रियता
प्लास्टिक प्रदूषण पर स्रोत से समुद्र तक केन्द्रित 'टाइड टर्नर्स चैलेंज’, संयुक्त राष्ट्र की अब तक की सबसे बड़ी युवा-प्रमुख वैश्विक प्लास्टिक पहल है, जिसमें 32 देशों में 50 हज़ार से अधिक युवजन, दुनिया भर में प्लस्टिक प्रदूषण से निपटने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा समन्वित और ब्रिटेन, नॉर्वे और वैश्विक पर्यावरण सुविधा द्वारा वित्त पोषित यह अभियान, युवाओं को एकल-उपयोग प्लास्टिक व परिपत्र समाधानों की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करने का एक प्रयास है.

प्रतिभागियों को ‘टाइड टर्नर्स बैज’ हासिल करने के लिये, स्थानीय समुदायों के साथ जुड़कर "हीरो-लेवल इम्पैक्ट कैम्पेन" की पैरोकारी जैसी कई गतिविधियों के तहत कार्रवाई करनी होती है.

केनया में एकल-उपयोग प्लास्टिक से छुटकारा

केनया में नैरोबी के एण्ड्रयू मवेण्डा ने प्लास्टिक के बजाय बाँस या स्टील से बने स्ट्रॉ का उपयोग बढ़ाने के लिये युवाओं को प्रेरित किया है.

वह नैरोबी विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान केनया स्काउट्स के साथ अपनी भागीदारी के ज़रिये, टाइड टर्नर्स चैलेंज में शामिल हुए. एण्ड्रयू ने प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये विश्वविद्यालय में सत्र आयोजित किये, 20 से अधिक युवाओं की एक टीम को संगठित और प्रशिक्षित किया, व मेरु में मकुटानो एवं नैरोबी में नगारा में मासिक स्वच्छता अभियान का संचालन किया. वह कहते हैं, "इन क्षेत्रों में प्लास्टिक प्रदूषण से, ज़्यादातर सामुदायिक शिक्षा और अक्सर सफ़ाई के माध्यम से निपटा जा रहा है."

एण्ड्रयू, स्कूलों, खाद्य बाज़ारों और भोजनालयों जैसी जगहों पर एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को कम करने में जुटे हैं. उन्होंने, अपने प्लास्टिक-मुक्त अभियान के हिस्से के रूप में, साझेदारी, वित्त, रसद और विपणन पर काम करने के लिये चार लोगों की भर्ती की है व कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिये Instagram और Twitter खाते शुरु किये हैं.

घाना में अपशिष्ट प्रबन्धन की वकालत

रोसमण्ड येबोहा को प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन पर कार्य की वजह से टाइड टर्नर की चुनौती में

घाना के सुनयानी की अर्थशास्त्र की छात्रा, रोसमण्ड येबोहा याद करती हैं कि जब किशोरावस्था में सकुमोनो समुद्र तट के किनारे घूमती थीं, तब प्लास्टिक कचरे के जलने के कारण उन्हें साँस लेने में कठिनाई होती थी. अपने गृहनगर में प्लास्टिक का कचरा फैला देखकर, स्थानीय झीलों व समुद्र में प्लास्टिक तैरते हुए उन्हें घृणा हो गई, और उन्होंने एकल उपयोग प्लास्टिक के बारे में कुछ करने का निर्णय लिया.

उनका पहला क़दम था, जूनियर अचीवमेंट अफ़्रीका के सदस्य के रूप में ‘टाइड टर्नर्स चैलेंज’ में भाग लेना. उन्होंने समुद्र तट की सफ़ाई करने के कई अभियानों में भाग लिया. उनमें से एक, विन्नेबा शहर में, उन्होंने स्थानीय सरकारी अधिकारियों को प्लास्टिक कचरे के बेहतर प्रबन्धन के बारे में लिखकर सुझाव दिये.

उनके कार्य की वजह से उन्हें टाइड टर्नर की चुनौती में "उत्कृष्ट प्रतिभागी" का सम्मान मिला. रोज़मण्ड, पुन: प्रयोग में आने वाले शॉपिंग बैग के उपयोग को बढ़ावा देने की भी मांग कर रही हैं और अकरा के एक मॉल में प्रबन्धकों से बात करके उन्हें प्लास्टिक बैग के उपयोग को कम करने के लिये मना रही हैं.

गुजरात में समुद्र तट और धारणाओं में बदलाव

गुजरात के महुवा शहर में जयदीप जानी, प्लास्टिक कचरे के ख़िलाफ़ अभियान का नेतृत्व करते हैं.

गुजरात के महुवा शहर में जयदीप जानी, प्लास्टिक कचरे के ख़िलाफ़ अभियान का नेतृत्व करते हैं. जयदीप का मानना है "आज लागू की गई एक अच्छी योजना, कल लागू की गई एक आदर्श योजना से बेहतर है."

जब उन्होंने और उनके दोस्तों के एक समूह ने महुवा में भवानी तट का दौरा किया तो वे इतना प्लास्टिक कचरा देखकर हैरान रह गए और इसके बारे में कुछ करने का फ़ैसला किया. उन्होंने समुद्र तट के सफ़ाई अभियान आयोजित किये और वीडियो, सर्वेक्षण, बैनर और मल्टीमीडिया के ज़रिये जागरूकता बढ़ाने के लिये धन जुटाया.

फिर जयदीप ने पर्यावरण संरक्षण युवा क्लब की स्थापना की. प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने और समुद्र तट पर कूड़ेदान लगाने के अलावा, इस क्लब ने प्लास्टिक कचरे से 200 ईको-ईंटें बनाने का काम भी किया.

वो बताते हैं कि समुद्र तट की सफ़ाई चलाने की उनकी पहल ने प्लास्टिक उत्पादों के बारे में लोगों की धारणा बदल दी है, और हाल ही में क्षेत्र में डॉल्फ़िन और केकड़ों की लुप्तप्राय प्रजातियों की वापसी देखकर, क्लब के सदस्यों को अपार उपलब्धि का ऐहसास हुआ.

बंगाल में कचरा, धन में तब्दील

रिंकू दास  प्लास्टिक कचरे को बैग में जमा करती हैं और छाँटे गए कचरे के बदले में उन्हें थोड़ी धनराशि भी प्राप्त होती है.

2021 में, पश्चिम बंगाल के बरुईपुर गर्ल्स हाई स्कूल में भौतिकी की सहायक शिक्षक, रिंकू दास ने कोलकाता स्थित गैर-सरकारी संगठन Greenovation के साथ काम किया, जो प्लास्टिक सहित सूखे घरेलू कचरे का साप्ताहिक संग्रह करता है.

उन्होंने अपने 30 पड़ोसियों को इस योजना में शामिल होने के लिये राज़ी किया. वे हर तरह के प्लास्टिक कचरे को ग्रीनोवेशन द्वारा दिये गए बैग में एकत्र करती हैं और अच्छी तरह से छाँटे गए कचरे के बदले में उन्हें थोड़ी धनराशि भी प्राप्त होती है. वो कहती हैं, "मेरे पड़ोसी एकत्रित प्लास्टिक से यह धन पाकर बहुत ख़ुश हैं."

रिंकू ने हाल ही में कलकत्ता विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग से सम्पर्क किया और उन्हें अपने सभी प्लास्टिक कचरे को ग्रीनोवेशन में भेजने के लिये राज़ी कर लिया.

फिलहाल, रिंकू अपनी नगर पालिका, राजपुर-सोनारपुर में, प्लास्टिक कचरे की समस्या के बारे में एक वीडियो के ज़रिये, अपनी नगरपालिका में याचिका दायर करती हैं. इससे, कचरे को अलग करने के महत्व और पड़ोसियों को टिकाऊ उत्पादों का उपयोग करने के लिये राज़ी करने के उनके प्रयास रेखांकित होते हैं.

कोविड-19 महामारी से पहले, और 2016 से, रिंकू अपने छात्रों के साथ कोलकाता में सड़कों के किनारे सफ़ाई अभियान भी चला रही थीं. ‘टाइड टर्नर चैलेंज’ में भाग लेने से, उनके छात्रों को पारिस्थितिक तंत्र पर एकल-उपयोग प्लास्टिक के हानिकारक प्रभाव के बारे में शिक्षा प्राप्त हो रही है.

ओडिशा में नारियल पेड़ से क्रान्ति

भुवनेश्वर, ओडिशा की सोनिया प्रधान, पेड़ों की रोपाई में इस्तेमाल किए जाने वाले पतले काले पॉलीथिन बैग के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ अभियान चला रही हैं.

भारत के ओडिसा में भुवनेश्वर की सोनिया प्रधान, पेड़ों की रोपाई में इस्तेमाल किये जाने वाले पतले काले पॉलीथिन बैग के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ अभियान चला रही हैं. इनका उपयोग केवल एक बार किया जा सकता है और जलने पर वातावरण को प्रदूषित करता है. उनके इलाक़े में नारियल प्रचुर मात्रा में मिलता है. तो उन्होंने सोचा कि क्यों न नारियल के खोपड़े में पौधे उगाए जाएँ.

किसी को विश्वास नहीं था कि यह सम्भव हो पाएगा, लेकिन उन्होंने सभी को ग़लत साबित कर दिया और अब स्थानीय नर्सरी व अपने पड़ोसियों को पॉलिथीन बैग के बजाय नारियल के गोले का उपयोग करने के लिये मनाने के मिशन पर है.

सोनिया, दोस्तों व पड़ोसियों के बीच प्लास्टिक की बोतलों के पुन: उपयोग को बढ़ावा दे रही हैं और प्लास्टिक कचरे से नवीन उत्पाद बनाने के प्रयोग कर रही हैं.

उन्होंने अपने क्षेत्र में री-सायकिल करने वालों की मैपिंग की और कचरे की आपूर्ति श्रृंखला को समझने के लिये बातचीत की. उन्होंने 25 दुकानों और तीन स्थानीय स्कूलों में, एकल उपयोग प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभाव व उनके उपयोग को कम करने के तरीक़ों के बारे में जागरूकता अभियान भी चलाया.

प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल कम करने में मदद करने के लिये सोनिया, पुराने कपड़ों से शॉपिंग बैग बनाती हैं. वह कहती हैं, "हम अचानक प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से बन्द नहीं तो कर सकते हैं, लेकिन अपने प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिये एकजुट हो सकते हैं और विकल्प ढूंढ सकते हैं."

बंगाल में बटर-पेपर में ब्रेड

पुलक, ब्रेड निर्माताओं व बेकरियों के बीच, ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ के उपयोग से पहले मौजूद एक विकल्प – ‘बटर पेपर’ को फिर से इस्तेमाल में लाने लिये जागरूकता बढ़ाकर बदलाव लाना चाहते हैं.

पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के 2021 टाइड टर्नर चैम्पियन पुलक कान्त कहते हैं: "हमारी समस्या ब्रेड है."

भारत में सालाना 40 लाख टन ब्रेड का उत्पादन होता है और इसका अधिकांश हिस्सा एकल उपयोग प्लास्टिक में पैक किया जाता है. पुलक, ब्रेड निर्माताओं व बेकरियों के बीच, ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ के उपयोग से पहले मौजूद एक विकल्प – ‘बटर पेपर’ को फिर से इस्तेमाल करने के लिये जागरूकता बढ़ाकर बदलाव लाना चाहते हैं.

शोध और सर्वेक्षण के बाद, पुलक ने महसूस किया कि ख़रीद के 24 घण्टों के भीतर अधिकांश ब्रेड की खपत हो जाती है, इसलिये प्लास्टिक की पैकेजिंग अनावश्यक है. पुलक ने पाया कि बटर पेपर - बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल होने के अलावा - प्लास्टिक पैकेजिंग की तुलना में 22% सस्ता और प्रिंट लागत में 45% अधिक किफ़ायती है.

यह लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ था.

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